संगीत :
कुछ लोगों को गाना गाने की हॉबी होती है, तो कुछ को गाना सुनने की। लेकिन कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन्हें तुकबंदी करने का शौक होता है। ऐसे लोग कभी भी कहीं भी दो-चार लाइनें गढ़ लेने में माहिर होते हैं। गीत-गजल लिखने वाले केवल प्रशिक्षण लेकर ही गीतकार नहीं बन गए। उन्होंने अपनी हॉबी को विकसित करके ही यह मुकाम हासिल किया है। इसी तरह जिन लोगों को गाना गाने का शौक है उनके लिए मनोरंजन जगत का दरवाजा खुला है। लगभग एक दशक पहले तक संगीत से जीविकोपार्जन कर पाना कठिन होता था। लेकिन फिल्मों, उपग्रह चैनलों, वीडियो एलबम, संस्कृति तथा गायन प्रतियोगिताओं के बढ़ते जाने से आज संगीत उद्योग ने देश-विदेश में बड़ा बाजार बना लिया है जिससे वर्तमान समय में यह काफी आकर्षक क्षेत्र बन गया है। फिल्मों, धारावाहिकों, ऑडियो-वीडियो एलबमों तथा विज्ञापनों की दुनिया में गायकों के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध हैं। इसी तरह वाद्य यंत्र बजाने तथा नृत्य की हॉबी को भी कुछ मूलभूत प्रशिक्षण के बाद प्रोफेशन के रूप में अपनाया जा सकता है। कई विश्वविद्यालयों में नृत्य, संगीत में डिप्लोमा और डिग्री के अलावा स्नातकोत्तर पाठयक्रम भी उपलब्ध हैं। इन्हें पूरा कर लेने के बाद तो और भी रास्ते खुल जाते हैं। ऐसे लोग स्कूलों तथा कॉलेजों में संगीत शिक्षण या निजी स्तर पर टयूशन भी कर सकते हैं।
गाना सुनने के शौकीन लोग खाली समय में प्राय: अपने इस शौक को पूरा करते हैं। गीतों के विभिन्न पहलुओं की समझ हो जाने के बाद इससे संबंधित मौलिक लेखन की क्षमता भी विकसित की जा सकती है। ऐसे लोग संगीत समीक्षक या सांस्कृतिक पत्रकार के रूप में उपयोगी कैरियर चुन सकते हैं। फिल्म देखने की हॉबी भी आम है जिसके चलते ऐसे लोगों में विभिन्न फिल्मों के प्रति एक दृष्टिकोण विकसित होता है। इसके सहारे वे फिल्मों के तकनीकी, रचनात्मक, कलात्मक आदि विभिन्न पक्षों पर प्रतिक्रिया देते हुए फिल्म समीक्षक के रूप में अपना कैरियर बना सकते हैं। पत्र-पत्रिकाओं में ऐसे लोगों की हमेशा जरूरत रहती है।
मिमिक्री :
कुछ लोग कलात्मक ढंग से विभिन्न तरह की आवाज निकालने में माहिर होते हैं। इसके अलावा ये लोगों के बोलने के ढंग तथा आवाज की भी हूबहू नकल कर लेते हैं। हालांकि यह एक ईश्वरीय देन है, फिर भी कुछ लोग इसे हॉबी के रूप में लेते हैं। आज तेजी से फैल रहे एफ एम चैनलों में ऐसे प्रतिभावान लोगों की मांग ज्यादा है। मिमिक्री करने वाले आरजे के रूप में भी अपना कैरियर बना सकते हैं। इसके अलावा विभिन्न टीवी कार्यक्रमों में भी आसानी से काम मिल सकता है। इन क्षेत्रों में अनुभव प्राप्त करके फिल्मों तक का रास्ता तय किया जा सकता है।
रचनात्मक लेखन :
कविता लिखना एक रचनात्मक कार्य है। इस तरह की हॉबी रखने वालों के लिए टीवी, रेडियो, अखबारों तथा विज्ञापन एजेंसियों में अपार संभावनाएं हैं। आज हर तरफ विज्ञापनों की धूम है। विज्ञापन बनाना एक बेहद इनोवेटिव कार्य है। विज्ञापन एजेंसियों में जिंगल्स राइटर, स्क्रिप्ट राइटर तथा कॉपी राइटर के रूप में कैरियर बनाया जा सकता है। रचनात्मक लेखन की मांग मीडिया जगत में अधिक है। रचनात्मक लेखन के सहारे फिल्मों में भी जाया जा सकता है।
इस तरह की प्रतिभा के धनी लोग धारावाहिकों और फिल्मों में स्क्रिप्ट तथा संवाद लिखते हैं। हालांकि इसमें मेहनत के साथ-साथ कुछ हद तक प्रशिक्षण की भी जरूरत होती है। कुछ लोगों को कहानियां तथा चुटकुले लिखने का शौक होता है। ऐसे लोग कॉमिक्स तथा कार्टून फिल्मों के स्क्रिप्ट तथा संवाद लिखने में अपना कैरियर बना सकते हैं।
पेंटिंग तथा फोटोग्राफी :
पेंटिंग तथा फोटोग्राफी की गिनती महंगे शौकों में की जाती है और ऐसा शौक बहुतों को है। लेकिन इसे कैरियर बनाकर अच्छा पैसा भी कमाया जा सकता है। पेंटिंग में रुचि रखने वाले काफी कल्पनाशील होते हैं। ऐसे लोग अपनी कल्पनाओं को कैनवस पर उतारने में माहिर होते हैं। सजावटी सामान होने के कारण अच्छी पेंटिंग ऊंची कीमतों पर बिकती है। पेंटिंग में रुचि रखने वाले विकल्प के तौर पर मंच सज्जा तथा इंटीरियर डेकोरशन के क्षेत्र में भी जा सकते हैं। पत्र-पत्रिकाओं में रेखाचित्र, कार्टून तथा पेंटिंग्स बनाने के लिए ड्राइंग एक्सपर्ट की जरूरत होती है। ऐसी हॉबी रखने वाले लोगों के लिए इन जगहों पर संभावनाओं के द्वार खुले हैें। इस हॉबी को आसानी से प्रोफेशन में बदला जा सकता है। कार्टूनिस्ट के रूप में स्वतंत्र रूप से भी कैरियर बना सकते हैं। आज के दौर में फोटोग्राफी का महत्व भी काफी बढ़ गया है। प्राय: हर तरह के अखबारों तथा पत्रिकाओं में छपने वाले चित्रों की संख्या पहले की तुलना में काफी बढ़ गई है। इसलिए अखबार हो या मैगजीन अच्छे फोटोग्राफरों का मांग हर जगह होती है। लेकिन फोटोग्राफी जैसी हॉबी को प्रोफेशन में बदलने के लिए इस क्षेत्र की बारीकियों को समझना बहुत जरूरी है। कभी-कभी किसी एक्सक्लूसिव फोटो की डिमांड ज्यादा होने के चलते उसकी अच्छी-खासी कीमत मिल जाती है। इसके अलावा फोटोग्राफी की रुचि को विकसित करके निजी तौर पर स्टूडियो भी खोला जा सकता है।
बहुत से लोगों में कुछ संग्रह करने की हॉबी होती है, जिसे कलेक्टिव हॉबी कहते हैं। यह हॉबी डाक टिकटों से लेकर विभिन्न देशों की नई-पुरानी मुद्राओं के संग्रह तक की हो सकती है। हालांकि इसमें प्रोफेशनल संभावनाएं थोड़ी कम हैं, लेकिन इन वस्तुओं का संग्रह करते हुए अपनी एक खास पहचान अवश्य बनाई जा सकती है।